पुस्तकालय विज्ञान डिग्रीधारियों के साथ सरकार कर रही सौतेला व्यवहार।
बिहार के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में स्व-वित्तपोषित योजना अंतर्गत पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई नियमित और दूरस्थ मोड से कराई जा रही है। नियमित माध्यम और दूरस्थ माध्यम दोनों मिलाकर लगभग दस से पंद्रह हजार डिग्रियां प्रतिवर्ष विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान किए जा रहे हैं। पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उत्तीर्ण होने के बाद पुस्तकालय अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति हेतु अहर्ता प्राप्त होती है। प्रदेश के लगभग सभी शिक्षण संस्थानों में पुस्तकालय अध्यक्ष, सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष,कैटलॉगर, क्लासिफायर के हजारों पद रिक्त रहने के बावजूद सरकार इन डिग्रीधारियों को रोजगार देने में विफल दिख रही है। रोजगार के अवसर उपलब्ध रहने के बावजूद सरकार पुस्तकालय विज्ञान डिग्रीधारियों के प्रति सौतेला व्यवहार दिखा रही है।मध्य, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों (उत्क्रमित सहित) अंगीभूत डिग्री महाविद्यालयों, सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, अभियंत्रण महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, मेडिकल कॉलेज सभी शिक्षण संस्थानों में विगत कई वर्षों से पुस्तकालय अध्यक्ष एवं संबंधित कई अन्य पद वर्षों से रिक्त है बावजूद सरकार बी.लिस. उत्तीर्ण डिग्रीधारियों को रोजगार उपलब्ध नहीं करवा रही है। कई छात्र तो ऐसे हैं जिनकी नौकरी हेतु निर्धारित अधिकतम उम्र सीमा समाप्त हो चुकी है। विगत कई वर्षों से बहाली नहीं होने से ऐसे अभ्यर्थियों में सरकार के प्रति व्यापक रोष व्याप्त है। बिहार राज्य अनियोजित प्रशिक्षित पुस्तकालयाध्यक्ष संघ के अध्यक्ष अमित कुमार एवं सचिव सौरभ कुमार ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पुस्तकालय अध्यक्ष एवं इससे संबंधित कई पद कई वर्षों से रिक्त है।छात्र-छात्राएं डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे हैं। रोजगार के अवसर उपलब्ध रहने के बावजूद सरकार रोजगार देने में विफल है।सरकार के इस सौतेला व्यवहार से पुस्तकालय विज्ञान के अभ्यर्थी खफा हैं। इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार संघ के माध्यम से पत्र भी लिखा जा चुका है परंतु सरकार बहाली प्रक्रिया शुरू करने के प्रति उदासीन दिख रही है।सरकार को अविलंब बहाली निकाल कर इन डिग्रीधारियों को भी नौकरी का अवसर प्रदान करना चाहिए। शैक्षणिक संरचना में पुस्तकालय का विशेष महत्व होता है।
सरकार आनन-फानन में विद्यालयों को उत्क्रमित कर रही है लेकिन वहां पुस्तकालय नहीं रहने से छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है। आश्चर्य की बात यह है कि संबद्धता मानक को ताक पर रखकर बिना पुस्तकालय और पुस्तकालय अध्यक्ष के विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। अतः संघ सरकार से मांग करता है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व रिक्त पुस्तकालय अध्यक्ष के पद पर अविलंब बहाली निकाल कर नियोजन प्रक्रिया को पूर्ण करें अन्यथा विवश होकर व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।